सुंदरकांड: महत्व, आयोजन और आध्यात्मिक लाभ | NewsRpt
सुंदरकांड, रामचरितमानस का एक महत्वपूर्ण भाग, भारत में भक्ति और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न अंग है। यह हनुमान जी की वीरता, भक्ति और राम के प्रति उनकी अटूट निष्ठा की कहानी है। अक्सर, सुंदरकांड का पाठ विभिन्न अवसरों पर आयोजित किया जाता है, जिसमें धार्मिक समारोह, त्योहार और व्यक्तिगत प्रार्थनाएं शामिल हैं।
सुंदरकांड पाठ का आयोजन: एक आध्यात्मिक अनुभव
हाल ही में, भाटापारा में सरयू साहित्य परिषद द्वारा 'सबके राम, सबमें राम' की भावना के साथ सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। यह आयोजन 16 अप्रैल 2023 से हर रविवार यज्ञशाला नाका नंबर एक में हो रहा है। परिषद ने संपूर्ण रामचरितमानस के पठन का संकल्प लिया है, जो एक सराहनीय प्रयास है।
इसी तरह, पटना के राजापुर स्थित श्री सिया बिहारी कुंज ठाकुरबाड़ी में झूलनोत्सव के चौथे दिन सुंदरकांड का पाठ किया गया। यहां श्रीराम, सीता और लक्ष्मण को चांदी के झूले में झुलाया गया और मखाना की खीर का भोग लगाया गया। माता सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम में मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर 21 ब्राह्मणों द्वारा सुंदरकांड का पाठ किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
सुंदरकांड का महत्व
- हनुमान जी की भक्ति: सुंदरकांड हनुमान जी की राम भक्ति का प्रतीक है।
- सकारात्मक ऊर्जा: इसका पाठ नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- मनोकामना पूर्ति: माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- कष्ट निवारण: यह जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों को दूर करने में सहायक है।
सुंदरकांड का पाठ न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमें धैर्य, साहस और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। यह एक ऐसा अनुभव है जो हमें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।